पटना: भोजपुरी इंडस्ट्री के सुपरस्टार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता मनोज तिवारी आज अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्होंने न केवल संगीत और एक्टिंग में सफलता हासिल की, बल्कि राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण पहचान बनाई। मनोज तिवारी दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वहीं क्या आप जानते है कि लोकसभा पार्टी के सांसद के मनोज तिवारी का जीवन एक समय पर ऐसा भी रहा है कि जब लोग उनका डेडीकेशन देख हैरान हो जाते थे. लेकिन ऐसा क्यों आइए जानते है
भजन गाने से शुरू हुआ सफर
उत्तर प्रदेश के बनारस में 1 फरवरी 1971 को जन्मे मनोज तिवारी का सफर भजन गायक के रूप में शुरू हुआ था। शुरुआती दिनों में शीतला घाट और अर्दली बाजार के महावीर मंदिर में जगराता करते थे। एक बार महावीर मंदिर में जगराते के दौरान उनके सिर से खून बहने लगा, लेकिन उन्होंने गाना नहीं रोका और अपने डेडीकेशन से लोगों के बीच अलग पहचान दिलाई।
भक्ति एलबम से मिली पहचान
मनोज तिवारी को 1991 में गंगा आरती के दौरान गाने का अवसर मिला। हालांकि उस समय उन्हें कोई बड़ा मंच नहीं मिला था। वहीं 1995 तक उन्हें छोटे कार्यक्रमों में गाने के ऑफर्स मिलने लगे। इसी दौरान “शीतला घाट पे काशी में का गीत बाड़ी शेर पर सवार” एल्बम रिलीज़ हुआ और यह सुपरहिट साबित हुआ। इस एल्बम ने मनोज तिवारी की किस्मत बदल दी और उन्हें भोजपुरी फिल्मों में प्लेबैक सिंगर के ऑफर्स मिलने लगें।
फिल्मों से राजनीति तक का सफर
भक्ति संगीत से आगे बढ़ते हुए मनोज तिवारी ने भोजपुरी सिनेमा में कदम रखा और वहां भी बड़ा नाम कमाया। इसके बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। बता दें साल 2009 में मनोज तिवारी ने गोरखपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से 15वें लोकसभा चुनाव में बतौर समाजवादी पार्टी उम्मीदवार हिस्सा लिया लेकिन उस दौरान वह भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार योगी आदित्यनाथ से चुनाव हार गए।
इसके अलावा मनोज तिवारी अगस्त महीने में अन्ना हज़ारे द्वारा शुरू किए गए भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में भी सक्रिय रहे। साल 2014 में आम चुनावों में मनोज तिवारी उत्तर पूर्वी दिल्ली लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार घोषित किए गए और वह चुनाव जीत गए. इसके बाद उन्होंने 2019 और 2024 के लोक सभा चुनाव में भी यहां से अपनी जीत दर्ज की.
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